दिल-ए-नादान
दिलने हाँ कहा,
और तुमने ना..
जो हम करते थे तुम को,
वो प्यार तुमने दिया किसीं और को।
जितना हम चाहते थे तुम्हे,
तुमने चाहा किसीं और को।
हम तरसते रहे,राह तकते रहे,
उम्मीद पे रखा था अपनी जिंदगी को।
खो कर भी तुम्हे फिक्र तुम्हारी ही थी मुझे,
अखिर तुमने ही तो खोया था सच्चे प्यार को।
दिल जलता रहा, प्यार सुलगता रहा,
पता नहीं तुम्हे कैसे आता है,
ये तडपाना मेरे दिल को?
खैर सब अच्छा हो,तुम्हारा प्यार भी सच्चा हो,
क्योंकि मैं जानता हूँ ,
तुम सेह नहीं पाओगी दिल तुटने ने के इस दर्द को।
- SND11
अशाच काहीश्या मनाला भावणाऱ्या कविता:
No comments:
Post a Comment